Cabbage tapeworm: सर्दियों का मौसम आते ही हरी-पत्तेदार सब्जियां आने लगती हैं। इस मौसम में पत्तागोभी जिसे बंदगोभी नाम से भी जाना जाता है, इसकी पैदावार भी खूब होती है। और पत्तागोभी लगभग हर भारतीय घर में खाई जाने वाली एक आम सब्जी है, पिछले कुछ सालों से कुछ बातें सामने आ रही हैं कि पत्तागोभी खाने से उसमें पाया जाने वाला कीड़ा दिमाग तक पहुंच जाता है और यहां तक कि पत्तागोभी को उबालने के बाद भी इसमें मौजूद कीड़े खत्म नहीं होते।
दिमाग में कीड़े के कारण जो स्थिति पैदा होती है उसे मेडिकल भाषा में न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस कहा जाता है। “दरअसल, कई रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि पत्तागोभी को अगर सही तरह से पकाकर नहीं खाया जाए तो इसमें मौजूद टेपवर्म (कीड़ा) शरीर में पहुंच सकता है जो कि जानलेवा साबित हो सकता है। कहा जाता है कि यह कीड़ा खाने के साथ पेट में जाता है और फिर आंतों से होता हुआ ब्लड फ्लो की मदद से दिमाग तक पहुंच जाता है। अब ऐसे में कई लोग पत्तागोभी खाने से परहेज करते हैं।
इस बात में कितनी सच्चाई है, इस बारे में डॉक्टर्स का क्या कहना है? क्या सच में पत्तागोभी में कीड़ा होता है? और क्या यह जानलेवा होता है? आइए इस बारे में जानते हैं। टेपवर्म एक चपटा, परजीवी कीड़ा है। यह आमतौर पर कई अलग-अलग जानवरों को संक्रमित करता है और उनकी आंतों में पाया जाता है। टेपवर्म जानवरों और मनुष्यों को संक्रमित करते हैं, वह आंतों में रहते हैं और आपके द्वारा खाए जाने वाले पोषक तत्वों को खाते हैं जिससे उनकी कमी के कारण मतली, कमजोरी, दस्त और थकान जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।
यह आमतौर पर मांस खाने वाले स्तनधारी जैसे मनुष्य, बिल्लियां और कुत्तों को प्रभावित करता है। टेपवर्म जिस जानवर या मनुष्य के शरीर के अंदर होता है, उसके अंदर के पोषक तत्वों को खा सकता है। टेपवर्म का सिर मनुष्य या जानवर की आंतों से जुड़ा होता है जहां सके वह डाइजेस्ट होने आए भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करता है। पोषक तत्वों को अवशोषित करते समय भी टेपवर्म ग्रोथ करता रहता है और अंडे देता रहता है। जब मनुष्य या जानवर मल करता है तो टेपवर्म शरीर से बाहर निकल जाते हैं और टेपवर्म किसी अन्य जानवर तक पहुंच सकता है।
वहीं पत्तागोभी के बारे में कहा जाता है कि इसके पत्तों में टेपवर्म हो सकते हैं। अगर कम पकी हुई या फिर कच्ची पत्तागोभी खाई जाए तो वो आपके शरीर में चले जाते हैं, लेकिन कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि पानी से धोने से भी टेपवर्म नष्ट नहीं होते। पीजीआई, चंडीगढ़ के डीएम पेडिआट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुमीत धवन का कहना है, ‘दिमाग में कीड़े यानी न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस एक काफी कॉमन प्रॉब्लम है। ऐसा नहीं है कि कीड़ा खा लिया है तो वो पेट में आ गया और उसके बाद दिमाग में चला गया। यह आमतौर पर कच्चे पत्तागोभी खाने के कारण होती है।
दरअसल, पत्तागोभी खेत में जमीन से लगी होती है फिर अगर कोई जानवर उस पर यूरिन पास कर देता है या फिर मल त्याग कर देता है तो टेपवर्म या अंडे उन पर रह जाते हैं। अब अगर उन्हें अच्छे से साफ ना किया जाए तो ये अंडे पेट में जाते हैं और वहां से पूरे शरीर के साथ दिमाग और आंखों में फैल जाते हैं। डॉ. गुरनीत सिंह कहते हैं, कि पत्तागोभी को ना खाना इसका उपाय नहीं है बल्कि अच्छे से साफ करने की जरूरत है। घबराने की जरूरत नहीं है। अगर किसी को यह बीमारी हो भी जाती है तो भी इसका पूरा इलाज है और कोई भी सर्जरी की जरूरत नहीं होती।
उपाय
डॉ. सुमीत ने कहा, कि ‘पत्तागोभी इसका प्रमुख सोर्स है लेकिन जो भी फल-सब्जी जो जमीन पर उगती हैं, उनके कारण यह समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए हमेशा सब्जियों को धोकर ही खाना चाहिए। इसके अलावा खाना बनाते समय अपने हाथों को साफ तरीके से धोएं और अगर बच्चा घर के बाहर मिट्टी में खेल रहा है तो घर आने के बाद उसके हाथ अच्छे से घुलवाएं, जो भी स्ट्रीट फूड है उसमें जो पत्तागोभी यूज की जाती है अगर उसे सही तरीके से नहीं धोया गया है या सही से पकाया नहीं गया है, तो पेट और दिमाग में वर्म इन्फेक्शन हो सकता है।
लक्षण
डॉ. सुमीत ने कहा, ‘पेट दर्द, मिरगी के दौरे, डायरिया, कमजोरी, उल्टी, चक्कर आना, सांस फूलने जैसी कई समस्याएं इसके लक्षण हो सकती हैं। यह लक्षण कई बार तुरंत, कई बार लंबे समय के बाद नजर आते हैं।
दिमाग में कीड़े का इलाज?
डॉ. सुमीत ने कहा, ‘इसका इलाज अलग-अलग तरह से होता है। हम तीन तरह की दवाई देते हैं। कीड़े मारने की जगह, सूजन कम करने की दवा और मिरगी कम करने की दवा। सूजन वाली 2 से 4 हफ्ते, कीड़े मारने की 2 से 4 हफ्ते और मिरगी आने की दवा एज ग्रुप के मुताबिक दी जाती हैं।