Hardoi News: हमारे यहां के घर में अगर कोई भाई या बेटा पुलिसकर्मी है और उसकी बहन वर्दी पहन कर हम लोग सड़क पर घूम जाएं तो शायद आफत आ जाएगी। लेकिन जनाब अगर अधिकारियों का वरदहस्त प्राप्त है तो फिर ऐसा कुछ नहीं। सारे नियमों को ताक पर रख दीजिए वर्दी पहनिये और बाइक पर विभाग का नाम लिखिए और फर्राटा भरते हुए पूरे शहर में घूमें कोई कुछ नहीं कर पाएगा। ऐसा ही यहां वन विभाग में हो रहा है ।
एक दैनिक श्रमिक वर्दी पहन कर दिन भर बाइक से फर्राटा भरता हुआ आरा मशीनों के चक्कर लगाता हुआ देखा जा सकता है। उसकी वसूली की चर्चाएं काफी जोरों पर है। अरुण पाठक पुत्र हरिओम पाठक शाहाबाद वन विभाग में दैनिक श्रमिक के पद पर कार्यरत है लेकिन अधिकारियों की पर्सनल नौकरी करने की वजह से वह अधिकारियों का कृपा पात्र बन गया।
फोटो में आप देख सकते हैं अरुण पाठक वन विभाग की वर्दी पहने हैं और वन विभाग का बैज भी लगाए और उसकी बाइक पर बाकायदा यूपीएफ भी लिखा है। अरुण पाठक नाम का यह दैनिक श्रमिक कहने को तो दैनिक श्रमिक है लेकिन शाहाबाद सर्किल का एक एक लकड़ी ठेकेदार इससे थर्राता है क्योंकि वन रेंज अधिकारी ने इसे क्षेत्र के लिए पूरे पावर दे रखे हैं।
विभागीय सूत्र बताते हैं क्षेत्र के वन दरोगा भी इसके आगे बौने हैं । बताया जाता है किसी भी लकड़ी ठेकेदार को अगर लकड़ी कटवाने के लिए परमिशन आदि की जरूरत पड़ती है तो वह सीधे वन रेंज अधिकारी से संपर्क नहीं करेगा इसी दैनिक श्रमिक से संपर्क करके परमिशन का ऑर्डर मिलता है। बताया जाता है आरा मशीन संचालकों, लकड़ कट्टों और वन रेंज अधिकारी के बीच एक सेतु का काम करता है। अगर कटान के दौरान किसी भी लकड़कटे का माल पकड़ा जाता है तो उसमें भी इसी दैनिक श्रमिक का मुख्य रोल रहता है।
वन दरोगा तो इस दैनिक श्रमिक के बगैर काम ही नहीं करते। अब आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं कि यह दैनिक श्रमिक वन विभाग में कितनी अहमियत रखता है क्योंकि इसका वन रेंज अधिकारी के आवास पर सीधे आना जाना है, सीधे बात करना है इसलिए बन विभाग के अन्य कर्मचारी इस दैनिक श्रमिक के मुंह लगने से बचते हैं। एक दैनिक श्रमिक किस तरह से वर्दी पहन कर विभाग के संवैधानिक गजट की धज्जियां उड़ा रहा है यह सोचने का विषय है।
आपको बता दें संविधान विभागीय गजट के अनुसार वन विभाग के क्षेत्रीय वन ग्रेड प्रथम को 3 स्टार, क्षेत्रीय वन अधिकारी ग्रेड द्वितीय को 2 स्टार, फॉरेस्टर को 1 स्टार अपनी वर्दी पर लगाने का हक शासन द्वारा दिया गया है। फर्स्ट ग्रेड की साधारण वर्दी होती है यह सिर्फ बेल्ट ही लगा सकता है। सहायक वनपाल हैडगार्ड को वर्दी पर यूपीएफ का बैज लगाने का हक है। लेकिन विभागीय संविधान गजट में यह कहीं नहीं लिखा है की वन विभाग का एक दैनिक श्रमिक वर्दी पहनकर बैज लगाएं और अपनी बाइक पर यूपीएफ लिखकर आरा मशीन संचालकों, लकड़ कट्टों और वन रेंज अधिकारी के बीच सेतु का काम करें।
बताया जाता है यह दैनिक श्रमिक चार पहिया गाड़ी चालक भी है । ज्यादातर यह वन रेंज अधिकारी की गाड़ी ही चलाता है। फिलहाल मनमाने ढंग से वनरेंज अधिकारी द्वारा एक दैनिक श्रमिक को वर्दी पहनने की अनुमति देना और उसे अपने साथ चालक के रूप में वर्दी पहना कर ले जाना विभागीय नियमों के विपरीत है । परंतु वन रेंज अधिकारी किस हक से ऐसा कर रहे हैं यह तो वही जाने लेकिन शासन और वन विभाग के उच्च अधिकारियों को इस विषय पर संज्ञान लेना चाहिए।
बोले वन रेंज अधिकारी
दैनिक श्रमिक द्वारा वर्दी पहने जाने के मामले में वन रेंज अधिकारी आलोक शर्मा से जब बात की गई तो उन्होंने कहा जो भी पूछना हो कार्यालय में आकर पूंछे फिलहाल उन्होंने मोबाइल कॉल पर जवाब देने से स्पष्ट मना किया। वन रेंज अधिकारी जवाब देने से बचते रहे।
रिपोर्ट – रामप्रकाश राठौर