हरदोई: 14 वर्ष के वनवास और लंका विजय के बाद अयोध्या वापस आने के पश्चात प्रभु श्रीराम कुलगुरु वशिष्ठ की सलाह पर हत्या दोष से मुक्ति के लिए हत्याहरण तीर्थ पर स्नान के लिए आए थे। हरदोई जनपद की संडीला तहसील में नैमिषारण्य परिक्रमा क्षेत्र में स्थित है ब्रह्म हत्या हरण तीर्थ सरोवर। माना जाता है कि हजारों साल पहले जब भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था तब उन्हें ब्रह्म हत्या का दोष लग गया था। उस हत्या के पाप को मिटाने के लिए भगवान राम हरदोई के हत्या हरण तीर्थ पहुंचे थे जहां उन्होंने सरोवर में स्नान कर अपने ब्रह्म हत्या के पाप को मिटाया था।
धार्मिक ग्रंथ में प्रसंग मिलता है कि लंकाधिपति रावण के वध के बाद प्रभु श्रीराम ने अयोध्या में यज्ञ-अनुष्ठान कराना चाहा तो, आचार्यों ने ब्रह्महत्या का दोष बताकर शामिल होने से मना कर दिया था। गुरु वशिष्ठ ने प्रभु श्रीराम से दाहिनी हथेली में स्यामल बाल होने की बात बताई।
ब्रह्म हत्या हरण तीर्थ सरोवर |
गुरु वशिष्ठ ने कहा कि लखेऊ हाथ जब स्याही बारा, तब रघुमंत मणिन विचारा। दाएं हाथ की हथेली में बाल दिखा। गुरु वशिष्ठ की सलाह पर प्रभु श्रीराम, माता सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ हत्याहरण सरोवर में स्नान के लिए आए थे। इसका वर्णन धर्म ग्रंथों में फाल्गुन शुक्ल तीज रविवारा, आवत भये अवधेश कुमारा…, से मिलता है। तभी से यहां पर गो-पूजन, गोदान से हत्या और तीनों प्रकार के पापों से मुक्ति की मान्यता है।
हत्याहरण तीर्थ हरदोई |
मान्यता है कि तीर्थ की स्थापना भगवान शिव और माता पार्वती ने सतयुग में की थी।
इस सरोवर को लेकर यह मान्यता है कि यहां मां पार्वती के साथ भगवान शिव एकांत की खोज में निकले थे। इस क्षेत्र में विहार करते हुए एक जंगल में जा पहुंचे जहां पर भगवान शिव ने तपस्या की। तपस्या के दौरान माता पार्वती को प्यास लगी। जंगल में एक कमंडल जल दिया। कमंडल में शेष बचे जल को मां पार्वती ने जमीन पर ही गिरा दिया था। इस पवित्र जल से वहां एक कुंड का निर्माण हुआ।
जाते वक्त भगवान शंकर ने इस स्थान का नाम प्रभास्कर क्षेत्र रखा। त्रेता युग में इस स्थान का नाम हत्या हरण कहा जाता है क्योंकि माना जाता है कि स्नान करने से हत्या तक का पाप नष्ट हो जाता है। यहां पर ऐसी मान्यता है कि भगवान राम का एक बार नाम लेने से हजारों नाम का लाभ मिलता है।