हरदोई: शाहबाद में बैंक ऑफ़ इंडिया के मैनेजर की शह से दलाली का कारोबार इस कदर फैला हुआ है, कि उपभोक्ताओं के काम नहीं हो रहे हैं, उपभोक्ता सुबह नौ बजे से शाम तक लाइन लगाकर खड़े रहते है। उसके बाबजूद भी उपभोक्ताओं का काम नहीं हो पाता है। उपभोक्ताओं के काम के लिए बैंक के अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा टालमटोल की जाती है और वहां पर बैठे असलम द्वारा नगर पालिका के सभी कामो का ठेका पहले से ही है, क्योंकि दलालों के सरगना असलम है जिनके सहयोग में अन्य कर्मचारी भी लगे रहते हैं।
जब हमारे संवाददाता वहां पर पहुंचे तो देखा कि असलम द्वारा अपने चहेते लोगों के काम किए जा रहे हैं जिसमे उनको मोटा कमीशन मिलता है और उपभोक्ता लाइन लगकर खड़े हुए है। लेकिन उनकी बात को सुनने वाला वहां पर कोई भी मौजूद नहीं है, क्योंकि उसमें उनको मोटा कमीशन नही मिलता है। बैंक में बूढ़े बुजुर्ग परेशान होकर लौट जाते हैं। इस तरह से दलाली का कारोबार बैंक ऑफ इंडिया शाहाबाद में तेजी से चल रहा है।
आपको बताते चले की बैंक आफ इंडिया में इस कदर उपभोक्ताओं का मेला लगा हुआ है सुबह से लगी भीड़ को अंदर कर लिया जाता है और शाम होते ही उपभोक्ताओं को टाल मटोल कर बाहर कर दिया जाता हैं वहां पर बैठे कई उपभोक्ताओं से जब बातचीत की गईं तो उनके द्वारा बताया गया कि वह सुबह 9:00 बजे से बैंक के अंदर बैठे हुए है और 17 दिनों से बैंक में चक्कर लगवाए जा रहे है लेकिन मैनेजर के ऊपर किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता है और मैनेजर द्वारा उपभोक्ताओं से अभद्रता से बात भी की जाती हैं जिस पर लगाम लगना बहुत जरूरी है।
इससे पूर्व में भी बैंक ऑफ़ इंडिया में सगीर नाम के ब्यक्ति के साथ भी एक पेंशन का मामला हुआ था जिसमें असलम ने पुत्री को पत्नी दिखाकर पेमेंट करवा दिया था उसके बाद सरकार द्वारा पेमेंट की रिकवरी की गई असलम शाहाबाद नगर का होने की वजह से यह लोगों को बहला फुसला कर अपने चुंगलमें फंसा लेता है और लोन व अन्य कई ऐसे कामों के जरिए से मोटी रकम कमाकर बैंक में सभी का पेट भरता है बैंक ऑफ़ इंडिया शाखा शाहाबाद में असलम की अहम भूमिका रहती है।
जब असलम डेली वेज पर लगे हुए थे तब ऐसे कारनामें असलम द्वारा लगातार किये गए जिसमें उनका पूरा ज्ञान प्राप्त हैं। जिसकी वजह से उनका प्रमोशन हो गया और दलाली की बजह से बैंक को भी सहयोग मिलता रहा। इस तरह से चल रही है बैंक आफ इंडिया की शाखा जिस पर उच्च अधिकारी संज्ञान नहीं ले रहे हैं आखिर कब तक उपभोक्ता परेशान होकर लगाते रहेंगे बैंक के चक्कर। कब होंगे उपभोक्ताओं के सही तरीके से काम और दलाली होगी बंद।
रिपोर्ट- आलोक तिवारी