Hardoi: वन विभाग ने 10 हजार जुर्माना लगाकर लकडकट्टों को दिन दहाड़े कटवा दिये वर्षों पुराने दो आम के भारी भरकम विशाल पेड़

100 News Desk
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Hardoi News: देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल ही मन की बात में यूपी राज्य का जिक्र करते हुए बताया कि यहां वृक्षारोपण के तहत 30 करोड से ज्यादा पेड़ लगाने का रिकार्ड बनाया गया है। वहीं उनकी डबल इंजन की उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ की सरकार भी जीरो टालरेंस का मंत्र बराबर जप रही है, लेकिन हरियाली के दुश्मन जब हरियाली के रक्षकों से मिलकर धरती का चीर हरण करने पर उतारू हों तो ऐसे में वृक्षारोपण करना एक भद्दी मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है।

लाखों पेड़ बिना लगायें ही कागजों में लग गये वहीं देख भाल न होने से हर वर्ष लगने वाले वृक्ष जमीन पर दिखाई ही नहीं दे रहे हैं। इधर वन विभाग जो पहले से पेड़ लगे हैं उन्हें चंद सिक्कों के लोभ में हरियाली के दुश्मनों को संरक्षण देकर रात दिन कटवाने में जुटा है।

ऐसा ही वाक्या कछौना वन रेंज के भभूती खेड़ा में प्रकाश में आया जहां शारदा नहर के माइनर पर खड़े दो आम के विशालकाय वृक्षों को वन विभाग ने कटवा डाला। सबसे मजे की बात तो यह है कि वन विभाग ने इस मामले में तत्परता दिखाते हुए कार्यवाही भी सुनिश्चित की वन रेंज अधिकारी ने 10 हजार का जुर्माना लगाकर लाखों रूपए की लकड़ी लकडकट्टों को सौंप दी।

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Hardoi Farest Department
Hardoi: वन विभाग ने 10 हजार जुर्माना लगाकर लकडकट्टों को दिन दहाड़े कटवा दिये वर्षों पुराने दो आम के भारी भरकम विशाल पेड़ 2

इस संदर्भ में जब रेंज कार्यालय कछौना से बात करने का प्रयास किया गया तो वहा किसी का फोन नहीं लगा। फोन न लगने के कारण डीएफओ हरदोई से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि घटना संज्ञान में नहीं है इसको मैं अभी दिखावाता हूं। इसके बाद रेंजर विनय कुमार सिंह का फोन लग गया। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने स्वीकारा कि कुछ गडबड जरूर है हम अभी किसी को भेजकर जांच करा रहा हूं।

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सबसे मजे की बात तो यह है कि पेड़ कटने के दो घंटे पहले ही जुर्माना हो जाता है। पेड़ उसके बाद काटे जाते हैं। उच्चाधिकारियों को पता नहीं रहता है, तो ऐसे में यह सवाल खड़ा हो जाता है कि यह खेल आखिर विभाग में खेलता कौन है। क्या रेंज अधिकारी ऐसे व्यक्ति को चिंहित कर कोई कार्यवाही करेगा या यूं ही धरती माता का चीर हरण होता रहेगा। खैर खबर लिखे जाने तक भारी भरकम आम के पेड़ों का कटान जारी था।

रिपोर्ट – पुनीत मिश्रा

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