शाहाबाद/हरदोई: दिल्ली के लाल किले की प्राचीर से स्वच्छता पर भाषण देने वाले प्रधानमंत्री व उनकी डबल इंजन की सरकार अपने कर्मचारियों को स्वच्छ वातावरण में बैठने के लिए उचित स्थान उपलब्ध नहीं करा पा रही है। इस सरकार में निसंदेह तहसील क्षेत्रों में नवनिर्माण हो रहे हैं। बड़ी बड़ी इमारतें बनायी जा रही है लेकिन तहसील में कार्यरत लेखपालों के लिये इन बड़े भवनों में कोई स्थान नहीं है। राजस्वकर्मी गन्दगी के बीच टूटे फ़ूटे कंडम कमरों में बैठने को मजबूर हो रहे हैं।
हरदोई जिले की तहसील शाहाबाद में लेखपालों का कोई पुरसा हाल नहीं है। यहां हाल में ही तहसील भवन का निर्माण कार्य पूरा हुआ है। सभी अधिकारियों को नये भवन में शिफ्ट किया गया है।उनके न्यायालय व कार्यालय नये भवन में शिफ्ट होने से न्यायालय नायब तहसीलदार खाली हुआ। उसी के आसपास अन्य कार्यालयों के खंडहर कमरों में लेखपालों ने बैठना शुरू कर दिया है। यहां पर तहसील का कूड़ा डाला जाता है। उसी कूड़े के ढेर के बीच बैठकर लेखपाल बखूबी अपने अपने सर्किल के किसानों की सेवा करने में तल्लीन रहते हैं।
सबसे मजे की बात तो यह है कि सरकार द्वारा संचारी रोग नियंत्रण हेतु साफ सफाई पर जोर देकर तहसील स्तरीय अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाती है, लेकिन पता नहीं क्यों तहसील में राजस्व व आपदा का कार्य करने वाले राजस्व कर्मी गंदगी में बैठने को मजबूर हैं ? क्या इन कर्मचारियों को बैठने के लिए सरकार के पास कोई रोड मैप नहीं है। क्या तहसील शाहाबाद के राजस्व कर्मियों को स्वच्छ वातावरण में रहने का अधिकार नहीं है?
सरकार का स्वच्छता अभियान का प्रचार प्रसार करने में तहसील के इन्हीं सभी कर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है लेकिन तहसील प्रशासन किस तरह से स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ा रहा है यह लेखपालों की गंदगी के बीच काम करने की तस्वीर काफी है। जिस कक्ष में लेखपाल बैठते हैं वह पूरी तरह से जर्जर होने के बाद आसपास गंदगी से ग्रस्त है।
सड़ांध और बदबू के बीच लेखपाल इसी भवन में बैठकर सरकार की योजनाओं को अमली जामा पहनाते हैं और खुद गंदगी में जीने को मजबूर हैं जबकि तहसील के अन्य समस्त अधिकारी और बाबू नए भवन में शिफ्ट होकर इसी का मजा ले रहे हैं बेचारे लेखपालों के लिए बैठने का कोई प्रबंध नहीं किया गया जबकि तहसील का प्रशासन इन्हीं लेखपालों की नींव पर टिका हुआ है।
रिपोर्ट- राम प्रकाश राठौर