पाली/हरदोई: हाकिमों के तुगलकी फरमान ठंड से ठिठुरते काश्तकारों के लिए किसी आफत से कम नहीं है। पहले तो 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तय कर और 15 से 20 रुपये खर्च कर चकबंदी वादकारियों के मामलों की सुनवाई हो जाती थी, लेकिन अब उसी सुनवाई के लिए 50 से 60 किलोमीटर की दूरी तय करने और इतने ही रुपये खर्च करने के अलावा सारे दिन की दौड़-भाग भी करनी पड़ेगी।
तुगलकी फरमान |
जैसा कि बताया गया है कि पहले तो भरखनी ब्लाक के कुछ गांवों के चकबंदी वादों की सुनवाई शाहाबाद में हुआ करती थी। लेकिन एक तुगलकी फरमान काश्तकारों के लिए आफत का सबब बन गया है। शाहाबाद चकबंदी दफ्तर में एक सूचना चस्पा की गई है। जिसमें लिखा है कि 6 जनवरी को शाहाबाद में होने वाली चकबंदी वादों की सुनवाई अब 19 जनवरी को पिहानी में होगी।
गुटकामऊ, मानपारा, पारा, अली हाजीपुर और जसरथपुर के काश्तकारों का कहना है कि उनके चकबंदी वादों की सुनवाई के लिए 15 से 20 रुपये खर्च कर 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी, लेकिन चस्पा की गई सूचना में लिखा गया है कि डीएम के आदेश पर 6 जनवरी को शाहाबाद के कैंप में होने वाली चकबंदी वादों की सुनवाई 19 जनवरी को पिहानी में चकबंदी अधिकारी करेंगे।
गयादीन, रावेन्द्र, विद्यानंद,मैकू, राममुरारी, रक्षपाल, रामपाल और रामदास आदि काश्तकारों का कहना है कि ऐसी ठिठुरती ठंड में 50 से 60 किलोमीटर की दूरी तय करना किसी आफत से कम नहीं है। इसके लिए पैसे भी तीन गुना खर्च होंगे, साथ ही टैम्पो-टैक्सी और निजी बसों से आने-जाने में उनका सारा दिन दौड़-भाग करने में ही गुज़र जाएगा। काश्तकारों का कहना है एक तरफ तो सरकार सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा करती है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ उसी के अधिकारी जानबूझ कर असुविधा पैदा कर रहें हैं।
रिपोर्ट – जनार्दन श्रीवास्तव