Earthquake in Nepal: नेपाल में शुक्रवार देर रात आए भूकंप से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर अब 157 हो गया है। जाजरकोट और रुकुम पश्चिम जिले में भूकंप का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला है। रात करीब 11:33 बजे 6.4 तीव्रता का भूकंप आया और नेपाल से दिल्ली तक झटके महसूस किये गये। दूसरा भूकंप रात 12:15 बजे आया, जिसकी तीव्रता 3.5 दर्ज की गई। बताया जा रहा है कि यह भूकंप आठ साल में आया सबसे भीषण भूकंप है, जिसमें अब तक 157 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। भूकंप के बाद राहत और बचाव कर्मियों ने रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि भूकंप की तीव्रता गंभीर नहीं थी लेकिन क्षेत्र में निर्माण की खराब गुणवत्ता के कारण नुकसान और मरने वालों की संख्या अधिक होने की संभावना है। नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, यह भूकंप शुक्रवार रात 11 बजकर 47 मिनट पर आया है। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मापी गई। वहीं, जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियो साइसेंज ने बताया कि भूकंप की तीव्रता 5.7 थी, जबकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षम के अनुसार भूकंप की तीव्रता 5..6 थी।
भूकंप आने के समय लोग सो रहे थे
भूकंप आने के समय लोग सो रहे थे। उन्होंने बताया कि बचाव कार्य धीमा होने की आशंका है, क्योंकि आपातकालीन टीमों को कई स्थानों पर भूस्खलन से अवरुद्ध हुई सड़कों को साफ करना होगा। अधिकारियों ने बताया कि करनाली प्रांत के जाजरकोट में 99 लोग मारे गए, जबकि 55 लोग घायल हुए। वहीं, रुकुम पश्चिम जिले में 38 लोग मारे गए, जबकि 85 लोग घायल हुए। भूकंप का केंद्र रमीडांडा गांव में था। अधिकारियों ने बताया कि भूकंप से जाजरकोट में तीन कस्बे और तीन गांव बुरी तरह प्रभावित हुए, जिनकी आबादी एक लाख 90 हजार है।
पीएम ने घायलों को हेलीकॉप्टर से अस्पताल पहुंचाने का दिया आदेश
नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल ने कहा कि भूकंप से प्रभावित इलाके में काफी नुकसान हुआ है। सैकड़ों लोग घायल हैं, हजारों घर नष्ट हो गए हैं और हमारी सरकार राहत कार्य में लगी हुई है। नेपाली पीएमओ के अनुसार, सशस्त्र पुलिस बल को सभी घायलों को हेलीकॉप्टर के जरिए बचाव के लिए अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा हेलीकाप्टरों के माध्यम से आसपास के जिलों से स्वास्थ्य उपकरण लेकर स्वास्थ्य कर्मी भी मौके पर पहुंच रहे हैं।
भारत में भी महसूस हुए भूकंप के झटके
भूकंप के झटके लगभग 600 किमी दूर नई दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में महसूस किए गए, जिससे इमारतें हिल गईं और लोगों को सड़क पर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसी तरह का नुकसान होने की खबर नहीं आई है।
2015 में आए दो भूकंपों में मारे गए थे हजारों लोग
इससे पहले, 2015 में आए दो भूकंपों में करीब 9 हजार लोग मारे गए थे। पूरा कस्बा, सदियों पुराना मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल तब मलबे में तब्दील हो गए थे। इसके साथ ही, 10 लाख से अधिक घर तबाह हो गए थे।
पीएम मोदी ने शोक किया व्यक्त
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वह नेपाल में भूकंप से हुए जानमाल की हानि और क्षति से काफी दुखी हैं। भारत नेपाल के लोगों के साथ एकजुटता और हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। हमारी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ है।